Next Story
Newszop

जनाना अस्पताल में बच्चा बदलने का सनसनीखेज मामला! डायपर खोलते ही खुला राज़, अस्पताल में भिड़े दो परिवार

Send Push

भरतपुर संभाग के सबसे बड़े महिला अस्पताल में गुरुवार को बच्चा बदलने का मामला सामने आया है। आरोप है कि एनआईसीयू वार्ड के स्टाफ ने बच्ची की जगह लड़के को जयपुर भेज दिया। क्योंकि बच्ची की तबीयत खराब होने पर उसे जयपुर रेफर किया गया था। परिजनों ने जब जेके लॉन अस्पताल में नवजात को देखा तो उन्हें बच्चा बदलने की बात पता चली। इसके बाद सुबह बच्चे के परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया। हालांकि, मामला बढ़ता देख अस्पताल प्रशासन के कुछ कर्मचारी लड़के पक्ष को लेकर जयपुर रवाना हो गए।

एनआईसीयू स्टाफ की लापरवाही सामने आई
नवजात बच्चे के पिता नदबई निवासी छोटेलाल (25 वर्ष) ने बताया कि उनकी पत्नी डॉली (21 वर्ष) को 19 जून को प्रसव के लिए महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉली ने 19 जून को ही लड़के को जन्म दिया। लड़का समय से पहले पैदा हुआ था। इसलिए उसे एनआईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था। डॉली को 24 जून को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। बच्ची का रोज़ाना चेकअप किया गया और डॉली को बच्ची को दूध पिलाने के लिए दो बार एनआईसीयू वार्ड में बुलाया गया। 9 जुलाई को एनआईसीयू वार्ड में एक बच्ची भर्ती हुई। उसे जयपुर रेफर करना पड़ा। डॉक्टर ने नवजात बच्ची को जयपुर के जेके लोन अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन एनआईसीयू स्टाफ ने बच्ची की जगह एक लड़का थमा दिया। इसके बाद वे एम्बुलेंस में बच्ची को लेकर जेके लोन अस्पताल पहुँचे। उधर, डॉली अपने बच्चे को दूध पिलाने एनआईसीयू वार्ड गई। जब उसने बच्ची का डायपर बदला, तो उसे पता चला कि वह लड़का नहीं, बल्कि लड़की है।

लड़की की जगह लड़का दिया गया

जेके लोन अस्पताल में भर्ती कराने से पहले जब बच्ची के परिजनों ने नवजात का डायपर बदला, तो उन्हें पता चला कि जनाना अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें लड़की की जगह लड़का थमा दिया है। इसके बाद उन्होंने अस्पताल प्रशासन को सूचना दी। अस्पताल प्रशासन ने आनन-फानन में बच्ची को जयपुर रेफर कर दिया। दोनों नवजात शिशुओं का इलाज जेके लोन अस्पताल में चल रहा है। उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले के अछनेरा निवासी बबीता ने बताया कि उनके बेटे की पत्नी प्रियंका (20 वर्ष) ने 6 जुलाई को एक लड़की को जन्म दिया।

बच्चे का डायपर बदला तो सच्चाई सामने आई

उसके गले में तकलीफ़ थी। इसलिए उसे जनाना अस्पताल के एनआईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया। 9 जुलाई को उसे जयपुर रेफर कर दिया गया। हमें लड़की की जगह लड़का थमा दिया गया। हम बच्चे को लेकर जेके लोन अस्पताल पहुँचे। जेके लोन अस्पताल में भर्ती करने से पहले जब बच्चे का डायपर बदला गया, तो पता चला कि हमें लड़की की जगह किसी और का बच्चा थमा दिया गया है।

पहले भी हो चुकी है लापरवाही

13 जनवरी 2018 को जनाना अस्पताल में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया था। वहाँ से एक बच्चा चोरी हो गया था। हालाँकि, पुलिस के दबाव के चलते आरोपी महिला बच्चे को रारह के पास छोड़ गई। इसके अलावा भी जनाना अस्पताल में लापरवाही के कई मामले सामने आते रहे हैं। कभी बधाई के नाम पर वसूली तो कभी गर्भवती महिलाओं से बदसलूकी की शिकायतें सामने आई हैं।

बच्चे नहीं, बल्कि रेफरल टिकट बदला गया

दरअसल, बच्चे बदले ही नहीं गए हैं। अस्पताल से दो बच्चों को रेफर किया जाना था। इनमें से पहले रेफर किए गए बच्चे का रेफरल टिकट बदल दिया गया। बाद में दूसरे बच्चे को भी रेफर कर दिया गया। मामला संज्ञान में आते ही जयपुर में ड्यूटी डॉक्टर जे.के. लोन से बात की गई और बच्चे को जनाना अस्पताल में दिए गए इलाज की जानकारी दी गई और बच्चे का इलाज शुरू किया गया। इसके बाद दूसरे बच्चे को रेफर किया गया। अब अस्पताल में दोनों बच्चों का इलाज शुरू हो गया है। हमारी टीम लगातार वहां के डॉक्टरों के संपर्क में है। रेफरल टिकट बदलने की गलती किस स्तर पर हुई है, इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई जा रही है।मामला संज्ञान में आया है। आरबीएम अधीक्षक से बात कर एक जांच कमेटी बनाई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, अगर लापरवाही पाई जाती है, तो संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

Loving Newspoint? Download the app now