हाईकोर्ट ने तहसीलदार द्वारा मकान खाली करने के लिए जारी किए गए नोटिस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यथास्थिति के आदेश जारी किए हैं। यह मामला सतवाड़ा गांव का है। जानकारी के अनुसार याचिकाकर्ता धन्ना लाल निवासी सतवाड़ा व अन्य को वर्ष 1974 में चारागाह भूमि पर मकान आवंटित किए गए थे।
ऐसे में इस भूमि पर कई वर्ष पूर्व से लोग पक्के मकान बनाकर रह रहे थे। पिछले दिनों नगरफोर्ट तहसीलदार ने इन मकान मालिकों को मकान खाली करने के नोटिस थमा दिए। ताकि इस भूमि पर बने मकानों को तोड़ा जा सके। इस कार्रवाई को रोकने के लिए धन्ना लाल व अन्य ने अधिवक्ता अक्षय यादव व भरत यादव के माध्यम से हाईकोर्ट जयपुर में याचिका दायर की। याचिका पर सुनवाई करते हुए गत दिवस (4 अप्रैल) को राजस्थान हाईकोर्ट ने धन्ना लाल व अन्य द्वारा नोटिस पर दायर याचिका पर रोक लगा दी है।
अधिवक्ता अक्षय यादव व भरत यादव ने बताया कि याचिकाकर्ताओं को वर्ष 1974 में चारागाह भूमि पर आवंटन अधिकारी द्वारा पट्टे जारी किए गए थे। अब प्रशासन उन्हें इस भूमि से बेदखल करने तथा उनके आवासीय मकानों को ध्वस्त करने का प्रयास कर रहा है, जो नियम विरुद्ध है। पीड़ितों के इन तर्कों से सहमत होते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने तहसीलदार नगरफोर्ट तथा जिला कलेक्टर टोंक को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं।
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