उधर, आज दिनभर निर्जला व्रत के साथ ही व्रतियों ने रात करीब 8 बजे खरना किया। प्रमोद पाठक ने बताया कि लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा का प्रारंभ मंगलवार को नहाय-खाय से प्रारंभ हो गया था। बुधवार को खरना हुआ। इसमें व्रतियों ने निर्जला व्रत रखा। छठ व्रतियों ने खरना के साथ व्रत की शुरुआत की और भगवान की आराधना की। ऐसी मान्यता है कि खरना पूजन के साथ घर-घर में देवी षष्ठी का आगमन हो जाता है, जिसकी तैयारियों पूरी कर ली गई हैं। खरना में गुड़-चावल की खीर, फल, रोटी का छठ व्रती ने भगवान को भोग लगाया। इस दौरान पूरे घर की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करके छठ व्रती 36 घंटा निर्जला उपवास रहेंगे।
अजय राय ने कहा- गुरुवार को अर्घ्य का सूप सजाया जाएगा और छठ व्रती सपरिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाट पर पहुंचेंगे। परिषद से जुड़े सुनील सिंह, विशेश्वर प्रसाद, सीताराम यादव, बैजनाथ प्रसाद और रामानंद मिश्रा ने कहा- सभी छठ व्रती गुरुवार की शाम को प्रताप नगर में बने घाट किनारे जुटेंगे। यहां सामूहिक रूप से डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। इसके साथ छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाएगी। भगवान सूर्य को जल एवं दूध का अर्घ्य दिया जायेगा। चौथा दिन छठ पर्व का अंतिम दिन होता है। शुक्रवार सुबह उगते सूर्य की अर्घ्य दिया जाएगा। इसी के साथ इस महापर्व का समापन होगा।
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