रावतभाटा से 20 किलोमीटर दूर स्थित धार्मिक एवं पर्यटन स्थल पाड़ाझार महादेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है। गुफा में स्थित महादेव के शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से जल की धारा गिरती है। यहाँ साल के दस महीने लगभग 35 फीट की ऊँचाई से झरना गिरता रहता है। बारिश में यह झरना पूरे वेग से बहता है। सावन के महीने में कोटा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, रामगंजमंडी, नीमच, सिंगोली से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं। दर्शन के साथ-साथ वे झरने में स्नान और पिकनिक का आनंद लेते हैं। यह क्षेत्र भैंसरोडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में है। यहाँ वन विभाग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कार्य करने जा रहा है।
यहाँ से पाड़ाझार जाएँ
पाड़ाझार महादेव झरने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता रावतभाटा से लुहारिया मार्ग होते हुए जाता है, जहाँ आप केवल निजी वाहन से ही जा सकते हैं। यहाँ भी बारिश में एक नाला आता है, इसलिए सावधानी ज़रूरी है। दूसरा रास्ता चैनपुरा गाँव से राणा प्रताप सागर बाँध, सेटलडैम होते हुए जाता है। आप यहाँ सीधे वाहन से जा सकते हैं, लेकिन नाले के कारण गुफा में नहीं जा सकते। आप पाड़ाझार जलप्रपात की प्राकृतिक सुंदरता का अवलोकन कर सकते हैं। भारी बारिश के दौरान ही स्लाइड पर पानी आता है, जिससे रास्ता बंद हो जाता है। झरने के पास जाकर स्नान करना मना है। आप केवल दूर से ही इसके प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं।
झरने के नीचे आदिमानव की गुफाएँ
पाड़ाझार महादेव जलप्रपात के नीचे आदिमानव की गुफाएँ हैं। कहा जाता है कि यहाँ कई ऋषियों ने वर्षों तक तपस्या की है। आदिकाल की गुफाएँ आज भी सुरक्षित हैं। वन्यजीव भी यहाँ डेरा डालते हैं। यह पक्षियों के लिए शरणस्थली है। यदि यहाँ पर्यटन का विकास हो, तो यह राजस्थान का सबसे सुंदर स्थान बन सकता है। पाड़ाझार महादेव जलप्रपात के नीचे गुफा में महादेव स्थापित हैं। प्रकृति शिवलिंग पर जल चढ़ाती है। यह गुफा 30 मीटर से भी अधिक लंबी है। यहाँ एक पवित्र तालाब और एक मंदिर बना हुआ है। गुफा तक नीचे जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं।
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