प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए परिवहन विभाग द्वारा वसूला जाने वाला ग्रीन टैक्स राज्य सरकार का खजाना भर रहा है। औसतन यह राशि राज्य में 200 करोड़ रुपए प्रति वर्ष है। अकेले झालावाड़ जिले से हर साल ग्रीन टैक्स के नाम पर करीब 5-7 करोड़ रुपए वसूले जाते हैं। इसके बावजूद न तो ग्रीन बेल्ट का क्षेत्र बढ़ रहा है और न ही पार्कों में हरियाली नजर आ रही है।
स्थिति यह है कि पिछले चार साल में ग्रीन टैक्स के नाम पर 23 करोड़ रुपए से अधिक की राशि वसूल की गई, लेकिन हरियाली पर एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया। ग्रीन टैक्स के नाम पर सरकार वाहन मालिकों को चूना लगा रही है। सूत्रों की मानें तो ग्रीन टैक्स की राशि रोडवेज बसों, मेट्रो, जेसीटीएसएल अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन और बसों के रखरखाव पर खर्च की जा रही है। इतना ही नहीं, इस फंड से स्थानीय निकायों में सीवरेज लाइन, नालियां और सड़कें बिछाने का काम किया जा रहा है। इसके चलते औसतन हर साल शहरी क्षेत्रों में हरियाली तेजी से कम होती जा रही है।
इनके लिए कोई कमेटी नहीं बनी-
वाहनों के चालान की राशि भी इसी फंड में जाती है। इसकी मॉनिटरिंग डीएलबी के निदेशक के अधीन है। सरकार ने इस फंड से हर साल रोडवेज, जेसीटीएसएल, मेट्रो के लिए बजट आवंटित करने के लिए कमेटी बना दी है, लेकिन ग्रीन बेल्ट और पार्क विकसित करने के लिए कोई कमेटी नहीं है।
ग्रीन टैक्स की वसूली पर एक नजर (लाखों में)
वर्ष वसूली राशि
2021-22 4.50 करोड़
2022-23 5.00 करोड़
2023-24 6.50 करोड़
2024-25 7 करोड़
क्या है ग्रीन टैक्स-
ग्रीन टैक्स को प्रदूषण कर और पर्यावरण कर भी कहते हैं। यह एक उत्पाद शुल्क है, जिसे सरकार उन वस्तुओं पर कर लगाकर वसूलती है, जिनसे प्रदूषण फैलता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को अधिक प्रदूषण फैलाने वाले साधनों का उपयोग करने से हतोत्साहित करना है, जिससे प्रदूषण कम करने में मदद मिलती है। इससे मिलने वाली राशि पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण कम करने वाले कार्यों पर खर्च की जाती है।
फैक्ट फाइल-
प्रदेश में इतना ग्रीन टैक्स वसूला गया
वर्ष टैक्स
2022-23 55.79 करोड़
2023-24 75.98 करोड़
2024-25 63.38 करोड़
ऐसे होती है वसूली
-दोपहिया वाहनों पर 750 रुपए।
-1500 सीसी तक के चार पहिया वाहनों पर 2500 रुपए।
-1500 से 2000 सीसी तक के वाहनों पर 3500 रुपए।
-2000 सीसी से अधिक के हल्के मोटर वाहनों से 5000 रुपए।
-5000 सीसी से अधिक के वाहनों पर 7500 रुपए।
-ट्रकों पर 2000 रुपए।
-तीन पहिया वाहनों पर 500 रुपए।
-हल्की टैक्सियों पर 1500 रुपए।
कहां जा रहा है पैसा-
आरटीओ द्वारा अलग-अलग वाहनों से ग्रीन टैक्स वसूला जा रहा है। परिवहन विभाग को भी नहीं पता कि इतनी बड़ी राशि का टैक्स कहां खर्च हो रहा है। विभाग द्वारा वसूले जाने वाले ग्रीन टैक्स की राशि राजकोष में जमा होती है। इनका कहना है- ग्रीन टैक्स की राशि राज्य सरकार के खाते में जमा होती है। इस संबंध में मुख्यालय से कोई दिशा-निर्देश मिलेंगे तो उसका पालन किया जाएगा। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ हम लगातार कार्रवाई करते हैं।
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