तत्कालीन जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नहर के किनारे 4 जलाशय बनाने के लिए 1200 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। अब उस परियोजना का काम धरातल पर दिखाई दे रहा है। बीकानेर, जोधपुर और जैसलमेर के लिए 1100 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की व्यवस्था की जाएगी। जिन 6707 गांवों के लिए पानी की कमी थी, उनके लिए 42 परियोजनाएं तैयार की गई थीं, लेकिन बीकानेर में बनने वाले दो जलाशयों में से आरडी 507 हैड पर जलाशय न केवल तैयार है बल्कि 500 क्यूसेक पानी से भर भी गया है। इसकी क्षमता 2000 मिलियन क्यूबिक फीट पानी भरने की है। यह पानी छतरगढ़, लूणकरणसर और श्रीडूंगरगढ़ के गांवों को दिया जाएगा।
बीकानेर में 507 हैड पर 2000 मिलियन क्यूबिक फीट पानी यानि 56000 मिलियन लीटर पानी एकत्रित होगा। यह जलाशय तभी भरेगा जब 15 दिन तक लगातार 2000 क्यूसेक पानी मिलेगा, लेकिन इससे छत्तरगढ़, लूणकरणसर और श्रीडूंगरगढ़ गांवों की प्यास पूरे छह माह तक बुझाई जा सकेगी। पानी भरना 500 क्यूसेक से शुरू हुआ है, लेकिन इस मानसून सीजन में यह पूरा भर जाएगा। इस जलाशय से छत्तरगढ़, लूणकरणसर के गांवों में हर घर में नल कनेक्शन के जरिए पानी पहुंचाया जाएगा। कंवरसेन लिफ्ट से जो पानी श्रीडूंगरगढ़ को दिया जाना प्रस्तावित था, उसकी जगह रोजड़ी लिफ्ट से श्रीडूंगरगढ़ तक पानी पहुंचाया जाएगा। कंवरसेन के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाएगा। 750 हैड भी 70 प्रतिशत तैयार है, लेकिन इसमें अगले साल पानी भरा जाएगा।
यहां पीएचईडी पायलट प्रोजेक्ट का काम भी अधूरा
तत्कालीन पीएचईडी मंत्री डॉ. बीडी कल्ला के प्रयासों से 2050 तक की आबादी की प्यास बुझाने के लिए स्वीकृत प्रोजेक्ट का पहला चरण धीमी गति से चल रहा है। जो काम 2024 में पूरा होना था, वह 2025 तक भी अधूरा है। शहर में जो 15 टंकियां बननी थी, उनमें से 7 अब तक पूरी तरह बनकर तैयार हो चुकी हैं। 6 में 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। 2 ऐसी हैं, जिनमें 45 प्रतिशत ही प्रगति हुई है। 500 किमी नई पाइप लाइन जो बिछाई जानी थी, उसमें से 300 किमी 6 माह पहले बिछाई गई और उसके बाद वहां काम बंद हो गया। करीब 200 किमी नई पाइप लाइन बिछाई जानी बाकी है। बीछवाल में जो नया जलाशय बनना था, वह बन चुका है, लेकिन ट्रीटमेंट प्लांट में सिविल वर्क के अलावा मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल का काम बाकी है। शोभासर में 60 प्रतिशत ही निर्माण कार्य पूरा हुआ है। इसलिए ट्रीटमेंट प्लांट, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल का काम भी अधूरा है। हालांकि पीएचईडी ने वादा किया है कि अगले साल तक इन दोनों जलाशयों से काम शुरू हो जाएगा।
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