राजस्थान का करौली शहर सोमवार को उस समय गहरे शोक में डूब गया जब एक ही परिवार के तीन सदस्यों की सगाई समारोह से लौटते समय मौत हो गई। दो भाइयों और माँ के शव शहर के सीताबाड़ी मोहल्ले में पहुँचे। घर से एक साथ तीन अर्थियाँ निकलते देख सभी दहल गए।
परिवार के सदस्यों का रोना-धोना थम नहीं रहा था और मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ था। सर्राफा बाजार दूसरे दिन भी शोक में बंद रहा। दिवंगत ईश्वर सोनी का परिवार 11 जुलाई की शाम को इंदौर गया था। अनिल सोनी (49) अपने बेटे नितेश उर्फ रानू की सगाई और दुल्हन की गोद भराई की रस्म के लिए परिवार के साथ निकले थे।
नितेश और उनकी मंगेतर, दोनों इंजीनियर हैं और बेंगलुरु में काम करते हैं। सगाई के बाद, दोनों सीधे बेंगलुरु चले गए। परिवार के अनुसार, 12 जुलाई की रात 9 बजे परिवार इंदौर से करौली के लिए रवाना हुआ था। रास्ते में सभी ने उज्जैन में अपने गुरु के दर्शन किए, आशीर्वाद लिया और भोजन के बाद करौली के लिए रवाना हुए।
रविवार सुबह कोटा के बूढ़ादीत क्षेत्र में चंबल पुल के पास ट्रक की टक्कर से हुए भीषण हादसे में अनिल सोनी, उनके छोटे भाई बृजेश सोनी (45), मां गीता देवी (70) और सरकारी शिक्षक भरतपुर निवासी उनके बहनोई सुरेश सोनी की मौके पर ही मौत हो गई।
सोमवार दोपहर को जब शव कोटा से करौली पहुँचे तो पूरा सीताबाड़ी मोहल्ला शोक में डूब गया। एक ही घर से तीन शव निकले तो सैकड़ों लोग भावुक हो गए। तीनों का अंतिम संस्कार मासलपुर दरवाजा स्थित मोक्षधाम में किया गया, जहाँ गीता देवी का अंतिम संस्कार उनके बेटे शिव लहरी ने, अनिल का उनके बेटे रितिक उर्फ शानू ने और बृजेश का उनके बेटे प्रथम सोनी ने किया।
पुलिस ने शवों को ले जा रही एम्बुलेंस के लिए वजीरपुर गेट रोड को खाली कराया और पुरानी सब्जी मंडी में लगे ठेलों को भी हटवाकर रास्ता बनाया, ताकि शवयात्रा सुचारू रूप से निकल सके। इस हादसे ने पूरे शहर को शोक में डुबो दिया है।
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