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ग्रीस में आयोजित बहुराष्ट्रीय एयर अभ्यास का हिस्सा बनेगी भारतीय वायुसेना

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नई दिल्ली 30 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय वायुसेना एक महत्वपूर्ण बहुराष्ट्रीय एयर फोर्स अभ्यास का हिस्सा बनने जा रही है। ग्रीस में आयोजित हो रहा वायु सेनाओं का यह युद्धाभ्यास भविष्य के जटिल वायु युद्धों व इन युद्धों की रणनीतियों का प्रशिक्षण प्रदान करेगा।

इस बहुराष्ट्रीय एयरफोर्स युद्धाभ्यास में शामिल होने के लिए भारतीय दल ग्रीस रवाना हो चुका है। यहां पंद्रह विभिन्न देश आधुनिक वायु युद्ध के परिदृश्यों के आधार पर अभ्यास का हिस्सा बनने जा रहे हैं। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय वायु सेना 31 मार्च से 11 अप्रैल 2025 तक ग्रीस के एन्ड्राविडा एयर बेस में आयोजित होने वाली प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास ‘इनियोचोस-25’ में भाग लेगी।

ग्रीस गए भारतीय वायु सेना के इस दल में सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान, और आईएल-78 व सी-17 जैसे युद्धक सहायक भारतीय विमान शामिल किए गए हैं। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ‘इनियोचोस-25’ एक द्विवार्षिक बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास है। इसे हेलेनिक एयर फोर्स (ग्रीस) द्वारा आयोजित किया जाता है। यह अभ्यास वायु सेनाओं के लिए अपने कौशल को सुधारने, सामरिक ज्ञान का आदान-प्रदान करने और सैन्य संबंधों को मजबूत करने का एक सशक्त मंच है।

इस अभ्यास में पंद्रह देशों के वायु और सतह पर आधारित विभिन्न संसाधन एकीकृत किए जाएंगे, जो आधुनिक वायु युद्ध के परिदृश्यों को साकार करेंगे। भारतीय वायु सेना को ‘इनियोचोस-25’ में भाग लेने का अवसर मिल रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय सहयोग, तालमेल और आपसी समझ को बढ़ाने का एक अवसर प्रदान करेगा। इस अभ्यास से संयुक्त वायु संचालन की योजना बनाने और उसे कार्यान्वित करने में प्रशिक्षण प्राप्त होगा।

जटिल वायु युद्ध के परिदृश्यों में रणनीतियों को परिष्कृत किया जाएगा। इसके साथ ही संचालन के सर्वोत्तम अभ्यासों को समझने का अवसर मिलेगा। ‘इनियोचोस-25’ अभ्यास के सभी संचालन एन्ड्राविडा एयर बेस पर किए जाएंगे। यहां भारतीय वायुसेना की भागीदारी न केवल उसकी परिचालन क्षमता को सुदृढ़ करेगी, बल्कि भागीदार देशों के बीच आपसी समन्वय और पारस्परिक सीखने को भी बढ़ावा देगी।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ‘इनियोचोस-25’ में भारतीय वायुसेना की भागीदारी भारत की वैश्विक रक्षा सहयोग और परिचालन उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह अभ्यास भारत की सामरिक साझेदारियों को मजबूत करेगा और मित्र देशों के साथ संयुक्त संचालन में उसकी क्षमताओं को और अधिक सशक्त बनाएगा।

--आईएएनएस

जीसीबी/एएस

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