राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू अब "आबूराज तीर्थ" के नाम से जाना जा सकता है। स्थानीय निकाय विभाग ने माउंट आबू नगर परिषद को पत्र लिखकर इस बदलाव पर टिप्पणी मांगी है। तीर्थ घोषित होने के बाद यहां शराब और मांस पर पूरी तरह प्रतिबंध लग सकता है। इस विषय पर मुख्यमंत्री कार्यालय में कई बैठकें हो चुकी हैं। पहला पत्र नगर परिषद को 1 अप्रैल 2025 को भेजा गया था, उसके बाद 25 अप्रैल को रिमाइंडर भेजा गया है। पत्र विभाग के संयुक्त विधिक सलाहकार लेखराज जाग्रत की ओर से भेजा गया है, जिसमें तथ्यों के साथ तत्काल जवाब मांगा गया है।
होटल व्यवसायियों ने शुरू किया विरोध
इस जानकारी के सामने आने के बाद होटल व्यवसायियों और व्यापारिक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने "आबू बचाओ, आबू का रोजगार बचाओ संघर्ष समिति" का गठन किया है। उनका कहना है कि तीर्थ का दर्जा मिलने से पर्यटन प्रभावित होगा और रोजगार कम होगा।
माउंट आबू में प्रसिद्ध मंदिर
माउंट आबू में स्थित दिलवाड़ा मंदिर, अर्बुदा देवी मंदिर, रघुनाथ मंदिर, गौमुख मंदिर और अचलेश्वर महादेव मंदिर इसे जैनियों और हिंदुओं के लिए एक विशेष तीर्थ स्थल बनाते हैं। अचलेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में परमार वंश ने करवाया था।
हर साल 24 लाख से अधिक पर्यटक आते हैं
माउंट आबू होटल एसोसिएशन के सचिव सौरभ गंगाडिया ने मीडिया से कहा कि इस फैसले से कारोबार चौपट हो जाएगा। यहां हर साल करीब 24 लाख पर्यटक आते हैं। इसके अलावा सरकार को आबकारी से हर साल 100 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिल रहा था। जब से आबू को तीर्थ स्थल घोषित करने की चर्चाएं शुरू हुई हैं, तब से गुजरात से पर्यटकों का यहां आना बंद हो गया है। ऐसे में यहां के सभी सामाजिक और व्यापारिक संगठनों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है।