- पुलिस कस्टडी से फरार होने की घटनाओं पर लगेगी पूरी तरह से रोक
जयपुर। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि 21वीं सदी का सबसे बड़ा सुधार (रिफॉर्म) देश के तीन नए आपराधिक न्याय कानूनों का क्रियान्वयन है। इनके पूर्ण रूप से लागू होने के बाद भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे आधुनिक प्रणाली बन जाएगी। शाह ने विश्वास जताया कि इन कानूनों के जरिये लंबित मामलों में तेजी आएगी और न्याय अब वर्षों नहीं, समयबद्ध रूप से मिलेगा। उन्होंने कहा कि 2027 से नई आपराधिक संहिताओं के तहत किसी भी एफआईआर के तीन वर्ष के भीतर सुप्रीम कोर्ट तक न्याय सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। शाह सोमवार को सीतापुरा स्थित जयपुर एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर (जेईसीसी) में आयोजित नवीन आपराधिक कानूनों पर राज्य स्तरीय प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
इस अवसर पर उन्होंने राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट 2024 के अंतर्गत प्राप्त निवेश प्रस्तावों में से 4 लाख करोड़ रुपये के एमओयू की ग्राउंड ब्रेकिंग तथा लगभग 9,315 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण किया। इसके साथ ही शाह ने विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म के लिए 260 करोड़ रुपये और दुग्ध उत्पादकों को दूध सब्सिडी के 364 करोड़ रुपये की राशि का हस्तांतरण भी किया। उन्होंने 150 यूनिट मुफ्त बिजली योजना के तहत पंजीकरण की शुरूआत की और महिला सुरक्षा व एफएसएल (फारेंसिक साइंस लेबोरेटरी) से जुड़े वाहनों का फ्लैग ऑफ भी किया। अमित शाह ने कहा कि नए कानून लागू होने के बाद केवल एक वर्ष में ही देशभर में 50 प्रतिशत से अधिक मामलों में चार्जशीट समय पर दाखिल होने लगी है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्ष में यह अनुपात 90 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। उन्होंने बताया कि लाखों पुलिसकर्मियों, न्यायिक अधिकारियों, जेल कर्मचारियों और एफएसएल स्टाफ को प्रशिक्षण दिया गया है। अब आरोपी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही अदालत में पेश होंगे। इससे समय और धन दोनों की बचत होगी तथा पुलिस कस्टडी से फरार होने की घटनाओं पर लगभग पूरी तरह रोक लगेगी। शाह ने कहा कि नई वैज्ञानिक जांच प्रणाली के लिए विशेषज्ञ तैयार करने के लिए 2020 में नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई है, इसका विस्तार देशभर हो रहा है। नई संहिताओं में आतंकवाद, मॉब लिंचिंग, संगठित अपराध और डिजिटल अपराध की स्पष्ट परिभाषा दी गई है।
उन्होंने बताया कि अब कानून में 29 स्थानों पर समय-सीमा तय की गई है-जैसे 90 दिन में पीड़ित को अपडेट देना और 60-90 दिन में चार्जशीट दाखिल करना अनिवार्य है। अनुपस्थिति में भी ट्रायल चलाकर सजा देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि पहले राजस्थान में अपराधियों को सजा होने की दर 42 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 60 प्रतिशत हो गई है। पूर्ण रूप से लागू होने पर यह दर 90 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नए कानून दंड नहीं, बल्कि न्याय की भावना से प्रेरित होकर बनाए गए हैं। उन्होंने अपील की कि वे प्रदर्शनी का अवलोकन अवश्य करें ताकि नई न्याय प्रणाली को बेहतर ढंग से समझ सकें। इसी के माध्यम से आप जान पाएंगे कि 160 साल पुराने कानूनों को समाप्त करके नरेंद्र मोदी, जो नए तीन कानून लाए हैं। शाह ने इस अवसर पर कहा कि भाजपा सरकार वादों को धरातल पर उतारने में विश्वास रखती है। उन्होंने बताया कि पूर्व कांग्रेस सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा गया था कि 35 लाख करोड़ रुपये के एमओयू में कितने वास्तविक होंगे, लेकिन भजनलाल शर्मा सरकार ने अब तक 7 लाख करोड़ रुपये के एमओयू को जमीन पर उतार दिया है।
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