देहरादून। उत्तराखंड में बुधवार रात से जारी मूसलाधार बारिश के कारण यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ धाम के रास्ते में कई जगह भूस्खलन हुआ और सड़कें धंस गईं। यमुनोत्री हाईवे और केदारनाथ-गौरीकुंड हाईवे धंसने से बृहस्पतिवार को चार धाम यात्रा बाधित रही। इस बीच, हिमाचल के मंडी में दो दिन पहले हुई बादल फटने की घटना में मृतकों की संख्या बढ़कर 16 हो गई, जबकि 55 लोग अब भी लापता हैं।
रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच दो जगह भूस्खलन हुआ, जिससे बृहस्पतिवार तड़के केदारनाथ धाम की यात्रा शुरू नहीं हो पाई। सुबह 7:30 बजे एसडीआरएफ के जवानों ने रास्ता साफ कर गौरीकुंड से 40 यात्रियों को सुरक्षित सोनप्रयाग रवाना किया। सुबह 9 बजे से सोनप्रयाग से यात्रियों को केदारनाथ भेजा गया। हाईवे बंद होने के कारण यात्री सोनप्रयाग से पैदल रास्ते से गौरीकुंड तक गए। वहीं, गंगोत्री हाईवे करीब पांच घंटे बाद बहाल किया जा सका।
उत्तराखंड में बारिश के कारण चमोली, उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिले के कई गांवों में नदी-नाले उफान पर हैं, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी है। वहीं, गुजरात के बनासकांठा जिले में जगह-जगह सड़कें पानी में डूब गई हैं।
38 पंचायतें तबाही की चपेट में
हिमाचल के मंडी जिले के अलग-अलग भागों में सोमवार रात बादल फटने और भारी बारिश से आई बाढ़, भूस्खलन से मची तबाही के मंजर की रोजाना नई तस्वीरें सामने आ रही हैं। अकेले सराज क्षेत्र की ही 38 पंचायतें तबाही की चपेट में हैं। यहां सड़कें ध्वस्त हो गई हैं। न बिजली है और न पानी।
फोन भी ठप पड़े हैं। लोगों को खाने का संकट है। वीरवार को थुनाग में एक और शव मिला है। 30 जून की रात को आए आसमान से बरसी आफत से जिले के विभिन्न भागों में अब तक कुल 16 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि लापता 55 की तलाश जारी है। लापता लोगों की तलाश के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और प्रशासन की टीमें जुटी हुई हैं।
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